Thursday, April 19, 2007

सब रंग एक संग

This poem is for my wing-mates, we are like the colours in the colour-box, in which all different colours reside, and come together to create beauty. This poem includes some incidents that got imprinted in my memory. Love you unconditionally and hamesha, my bhailog !


सब रंग एक संग


हम साथ हैं तो ज़िंदगी की हर ख़ुशी मिली
यारों मेरे सौगात मुझको ये हसीं मिली

साहिल की रेत में जो था वो ढूँढता सीपी
इक रात उसको आसमान की परी मिली

रोशन मीनारें जिनको था बस दूर से देखा
उनकी भी इस नाचीज़ को शागिर्दगी मिली

लहरों में हाथ थाम कर खडे हुए थे जब
सुबह मुझे वो जिन्दगी की बेहतरीं मिली

मुश्किल था हाँ बेशक जो वक़्त दर्द में गया
रफ़्तार उसको पर तुम्हारे साथ से मिली

दिल को जो राह दिल से हो तो फासलों से क्या
बस कहना मुझे तेरी चिट्ठी नही मिली





Thursday, April 05, 2007

शुक्रिया


शुक्रिया


जब कभी फिर तेरी हंसी का सिलसिला होगा,
खुदा ने बख्शा इस ग़ज़ल का ही सिला होगा ।

ये मेरे ख्वाब उतर जाएंगे तस्वीर मे तब,
कि जब वो आखिरी आँसू तेरा ढला होगा ।

तेरी खुशी से कोई और भी है खुश होता,
तेरी खुशी को जब इसका पता चला होगा ।

मेरी किस्मत मे तू नहीं न सही शुक्र तो है,
तेरा नसीब भी जिस दिन यूँ ही खिला होगा ।


तेरी आवाज़ को सुन पाऊँ खनकती जब फिर,
उस रोज़ फरिश्ता कोई मुझसे मिला होगा ।

मेरी दुआ "कुबूल" की होगी रहबर ने,
मेरी कोशिश को तेरा शुक्रिया मिला होगा ।