तुम बनके आईना जो चारसूं बिखर गए
चेहरा संवारने से मुकद्दर संवर गए
सुन पाये तुम्हें जब भी अपनी धड़कनों में हम
बेशी-कमी की कशमकश से बेअसर गए
हर बार आदतन ही तुमसे कर दिए वादे
और नज़र फेरते ही हर दफा मुकर गए
हम दूसरे शहर में जा के पूछ रहे हैं
जो घर हमारे जाते थे रस्ते किधर गए
मग़रूर हो गए जो तुमने दे दी नेकियां
हम यूं मरे, हकीम को बदनाम कर गए
शोहरत वसूलना भी नहीं भूलते कभी
यूँही कभी तुम्हारा अमल हम जो कर गए
हो गए हैं तमाम मंज़िलों को हम क़ुबूल
उंगली को थाम जब कभी तुम्हारे घर गए
चेहरा संवारने से मुकद्दर संवर गए
सुन पाये तुम्हें जब भी अपनी धड़कनों में हम
बेशी-कमी की कशमकश से बेअसर गए
हर बार आदतन ही तुमसे कर दिए वादे
और नज़र फेरते ही हर दफा मुकर गए
हम दूसरे शहर में जा के पूछ रहे हैं
जो घर हमारे जाते थे रस्ते किधर गए
मग़रूर हो गए जो तुमने दे दी नेकियां
हम यूं मरे, हकीम को बदनाम कर गए
शोहरत वसूलना भी नहीं भूलते कभी
यूँही कभी तुम्हारा अमल हम जो कर गए
हो गए हैं तमाम मंज़िलों को हम क़ुबूल
उंगली को थाम जब कभी तुम्हारे घर गए
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