हर एक ज़र्रे को रोशन तेरा जमाल करे
किसे ख़बर है कहाँ पर तू क्या कमाल करे
तू हर जगह है मगर फिर भी छुपा रहता है
बशर है खाना-नशीं ख्वाहिश-ए-विसाल करे
मैं ये हर बार देख के भी भूल जाता हूँ
तू वही करता है सभी को जो खुशहाल करे
मार देती है मेरी सोच मुझे हर दफा और
मुझे हर बार जिंदा तेरा इक ख्याल करे
तेरा फ़ज़ल तू नहीं मांगता हिसाब वर्ना
मैं बिक ही जाऊँगा जो तू बस इक सवाल करे
बड़ी ख़ुशी से तूने किया है "कुबूल" मुझे
और एक मैं जो अब भी कोशिश-ए-इकबाल करे
जमाल- aura, खाना-नशीं - trapped / in darkness/ misguided, ख्वाहिश-ए-विसाल - desire to meet, फ़ज़ल- grace, इकबाल- acceptance