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Thursday, April 05, 2007

शुक्रिया


शुक्रिया


जब कभी फिर तेरी हंसी का सिलसिला होगा,
खुदा ने बख्शा इस ग़ज़ल का ही सिला होगा ।

ये मेरे ख्वाब उतर जाएंगे तस्वीर मे तब,
कि जब वो आखिरी आँसू तेरा ढला होगा ।

तेरी खुशी से कोई और भी है खुश होता,
तेरी खुशी को जब इसका पता चला होगा ।

मेरी किस्मत मे तू नहीं न सही शुक्र तो है,
तेरा नसीब भी जिस दिन यूँ ही खिला होगा ।


तेरी आवाज़ को सुन पाऊँ खनकती जब फिर,
उस रोज़ फरिश्ता कोई मुझसे मिला होगा ।

मेरी दुआ "कुबूल" की होगी रहबर ने,
मेरी कोशिश को तेरा शुक्रिया मिला होगा ।