ढलेगी रोशनी शमा-ए-दिल आजाद होगी
इसी बादल के साये में वो मुलाक़ात होगी
हमारी हसरतों को पर लगेंगे उल्फत के
हर एक आरजू मचलने को बेताब होगी
हवा जो छू के जायेगी तेरे रुखसारों को
मेरी हलकी सरगोशी भी उसके साथ होगी
ये चाँद घोलेगा मदहोशी स्याह पानी में
फिर आधे आधे से लफ्जों में अपनी बात होगी
तेरी हंसी का नूर बिखरेगा हर जानिब
इसी नशे में तेरी रूह भी शादाब होगी
शब-ए-मक़सूद की तलाश मुकम्मल होगी
मेरी जुबां से इक नयी ग़ज़ल ईजाद होगी
मैं सोच लूँगा अपनी आखिरी तमन्ना भी
भला दिल को भी धड़कने की कुछ याद होगी?
"कुबूल" है मुझे भी इंतज़ार थोडा सा
की खुदा ने सुनी किसी की तो फरियाद होगी
रुखसार- Cheek; जानिब - side, towards; शादाब - Fresh / Rejuvenate.
1 comment:
kamaal hai yaar......so romantic....
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