मुराद-ए-यकीं सी कोई मुराद नहीं है
पूरा है जो हमेशा कम-ओ-ज़ाद नहीं है
तेरे हर इक पयाम को सजदे ही किये हैं
हर्फों का इल्म है कि नहीं याद नहीं है
जब जब भी ये एहसास मिला है कि तू मिला है
देखा है लबों पे कोई फ़रियाद नहीं है
मुझको बना ग़ुलाम ग़ुलामी के शौक़ का
जो ख्वाहिश-ए-आज़ादी से आज़ाद नहीं है
तेरे ही ये ख्याल है और तर्जुमा तेरा
तेरा ही करम है मेरा इरशाद नहीं है
वो सफ़र अहल-ए-मंज़िल पे हो गया "कुबूल"
कोई तलाश जिसकी तेरे बाद नहीं है
पूरा है जो हमेशा कम-ओ-ज़ाद नहीं है
तेरे हर इक पयाम को सजदे ही किये हैं
हर्फों का इल्म है कि नहीं याद नहीं है
जब जब भी ये एहसास मिला है कि तू मिला है
देखा है लबों पे कोई फ़रियाद नहीं है
मुझको बना ग़ुलाम ग़ुलामी के शौक़ का
जो ख्वाहिश-ए-आज़ादी से आज़ाद नहीं है
तेरे ही ये ख्याल है और तर्जुमा तेरा
तेरा ही करम है मेरा इरशाद नहीं है
वो सफ़र अहल-ए-मंज़िल पे हो गया "कुबूल"
कोई तलाश जिसकी तेरे बाद नहीं है