शुक्रिया
जब कभी फिर तेरी हंसी का सिलसिला होगा,
खुदा ने बख्शा इस ग़ज़ल का ही सिला होगा ।
ये मेरे ख्वाब उतर जाएंगे तस्वीर मे तब,
कि जब वो आखिरी आँसू तेरा ढला होगा ।
तेरी खुशी से कोई और भी है खुश होता,
तेरी खुशी को जब इसका पता चला होगा ।
मेरी किस्मत मे तू नहीं न सही शुक्र तो है,
तेरा नसीब भी जिस दिन यूँ ही खिला होगा ।
तेरी आवाज़ को सुन पाऊँ खनकती जब फिर,
उस रोज़ फरिश्ता कोई मुझसे मिला होगा ।
मेरी दुआ "कुबूल" की होगी रहबर ने,
मेरी कोशिश को तेरा शुक्रिया मिला होगा ।
3 comments:
zubaan-e-aala....
subhaan allah!!
kgp ko ek aur khoobsurat kavi mila hai... god one! keep it up.
आप्की ये कावित बहुत अच्हि है.ब्धाइ हो.
: अरुन भार्ती
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