तसव्वुर पर सिलवटें हैं, तेरे आने का सपना भी
हैं कबसे मुन्तज़िर आंखें, तो लाजिम है बरसना भी
समेटी याद बस तब तक, तेरी क़ुरबत मिली जब तक
बड़ा मुश्किल हुआ तबसे, कोई पल साथ रखना भी
मेरी आँखें भी अब मेरी तरह ही होश में हैं जो
तेरा दीदार चलता है, नहीं रुकता तरसना भी
अभी तक मेरे दामन में तेरे आंसू सलामत हैं
है इक बारिश में नामुमकिन लहू के दाग बहना भी
तेरे चेहरे को हाथों की लकीरों में तलाशा बस
अजब कि जानता है ये दुआ के लफ्ज़ बुनना भी
ये अच्छा है खुदा पे हक फ़क़त ऐतबार का ही है
कि क्यूँकर आजमायें जब, नहीं आसाँ समझना भी
6 comments:
Kya baat hai bhaiya..............Urdu dictionary open karke samjha aapki poem ko. But its really nnice :)
great prabhu.. just amazing
bahut umda dost! bahut hi umda rachana!
bahut sahi diya hai bhai...
lovely :)
beautiful :)
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